लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri)

INFO.INDIA
3 minute read

                     लाल बहादुर शास्त्री(Lal Bahadur Shastri)

             

(2 अक्टूबर 1904 - 11 जनवरी 1966)


श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर साल 1904 में , उत्तर प्रदेश के वाराणसी  के सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन मुगलसराय में हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री जी के पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था। लाल बहादुर शास्ति के पिता जी स्कूल में शिक्षक थे उनको सब मुंशी जी भी कहते थे। बाद में उन्हें राजस्व विभाग में लिपिक (क्लर्क) की नौकरी प्राप्त हुयी। लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ साल के थे जब उनके पिता श्री का दिहंत हुआ। लाल बहादुर शास्त्री के माँ का नाम रामदुलारी था। उनकी माँ अपने तीनो बचो के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गई। एक छोटे से शहर में उनकी शिक्षा कुछ खास नहीं रही परन्तु गरीबी की अनेक कठिनियों के बावजूद उनका बचपन काफी खुसखाल रहा। लाल बहादुर शास्त्री को घर में नन्हे के नाम से पुकारते थे। ननिहाल में रहते हुए उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की उसके बाद की शिक्षा हरिश्चन्द्र हई स्कूल और कशी विद्यापीठ में हुई।  कशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने अपने जन्म से चल रहा अपना जातिसूचक नाम "श्रीवास्तव" हटा कर  "शास्त्री" रख दिया।   इसके बाद शास्त्री शब्द लाल बहादुर के नाम का पर्याय बन गया।  

  

साल 1928 में उनका विवहा मिर्ज़ापुर निवासी गणेशप्रसाद की पुत्री ललिता से हुआ।  ललिता और शास्त्री की छः  संताने थी जिसमे दो पुत्री कुसुम और सुमन और चार पुत्र हरिकृष्ण , अनिल , सुनील व अशोक। जिसमे से दो पुत्र हरकृष्ण और अशोक दोनों भगवान को प्यारे हो गए।  और अनिल शास्त्री और सुनील शास्त्री दोनों नेता है।  अनिल शास्त्री कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता है।  तथा सुनील शास्त्री , भारतीय जनता पार्टी के एक नेता है।  




राजनितिक जीवन
:-

संस्कृत भाषा में स्रनात्क स्तर शिक्षा समाप्त करने के पश्चात वे भारत सेवक संघ से जुड़ गए और देश सेवा का व्रत लेते हूये यही से अपना राजनीतकि जीवन की शुरआत किया।  लाल बहादुर शास्त्री एक सच्चे गांधीवादी थे उन्होंने अपना जीवन एक साधे  रूप से बिताया था जीवनभर गरीबों  की सेवा किया।  भारतरीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और आंदलोनो में उनकी एक अहम भागीदारी रही।  उनमे 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी  मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय है। दूसरे विश्व युद्ध में इगलेंग  को बुरी तरह उलझता देख  जैसे ही नेताजी ने आज़ाद हिन्द फौज को दिल्ली चलो का नैरा दिया गाँधी जी ने मोके की नज़ाकत को भांपते हुए 8 अगस्त 1942 की रात में ही मुम्बई से अंग्रेज़ो को "भारत छोड़ो" व भारतीयों को "करो या मारो" का आदेश जारी किया और सरकारी सुरक्षा में यरवदा पूर्ण  िस्थत आगा खाना पैलेस में चले गए।  9 अगस्त 1942 के दिन शास्त्री ने इलाहबाद पहुंचकर इस आंदोलन के गांधीवादी नारे को चतुराई से पूर्वक "मरो नहीं , मारो"!  में बदल दिया।  और अप्रत्याशित रूप से क्रांति की दवानल को पुरे देश में प्रचरण रूप से दिया।  पुरे ग्यहरा दिन तक भूमिगत रहते हुए यह आंदोलन चलने के बाद 19 अगस्त 1942 को लाल बहादुर शास्त्री गिरफ्तार हो गए।  




प्रधानमंत्री:- 
भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की 27 मई 1964 को उनका दिहंत हो गया जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री की साफ सूत्री छवि होने के कारण उनको देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला। श्री लाल बहादुर शास्त्री ने 2 जून साल 1964 को प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया।  साल 1965 में (उनके शासन काल में ) भारत पाक युद्ध भी शुरू हो गया।  इससे तीन वर्ष पूर्व भारत और चीन युद्ध में भारत युद्ध हार चूका था। शास्त्री ने उस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नृतत्व प्रदान किया और "जय जवान , जय किसान" का नारा लगया जिससे भारत की जनता का अत्यधिक मनोबल बड़ा और सारा देश एक जुट हो गया।  
ताशकंद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ युद्ध खत्म करने और समझौते पैर हस्ताक्षर करने के पश्चात 11 जनवरी 1966 की रात मे ही रहस्य्मयी रूप में उनकी मृत्यु हो गयी।  
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मोत एक रहसयमयी मृत्यु रही , इसके विषय में आज तक लोग  केवाल अनुमन लगते है।  


(11 जनवरी 1966 )